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मौलिक अधिकार*
समानता का अधिकार


अपने पड़ोस में किसी स्त्री या पुरुष की पहचान कीजिए जिसकी कम उम्र में सादी हो गई थी इसका असर किस तरह पड़ा उनके सेहत, शिक्षा तक पहुंच वीतिय स्थिति ओर रोजगार के अवसरों पर  पड़ा इसका अनुभव बताइए अपनी सीख के।
तूगा (जाम कुनरिया) माध्यमिक विद्यालय के जाग्रिक 
हरेश बुदाभाई और भुराभाई मुराभाई 
कक्षा 9 के छात्र 
कार्ड नंबर 1
गांव  धोरावर

अनुभव :
हरेश ने बताया के मेरे पड़ोस में इसी कई लड़कियां है जिनकी सादी कम उम्र में हो गई है 
लेकिन मुझे कभी ये नहीं लगा उनकी सादी कम उम्र में होरी है मुझे लगा सही वक्त है सादी करने का, मेरे पास ने एक मेरे घर के पास में एक लड़की रहेती थी जिसकी सादी कम उम्र में हो गई थी।
लेकिन मैने कभी इस बारे बात नहीं की थी उनसे जब मुझे ये टास्क मिला ओर जब हम ये टास्क करने गई तो  काफी कुछ जान ने को मिला मुझे हमारे मौलिक अधिकारों के बारे
में ओर मेरे साथी उनके घर गई  जिनकी सादी कम उम्र हो गई थी उनकी शिक्षा 8 कक्षा तक वो पड़ी थी उसके बाद उनकी सादी हो गई ओर तब वो 15 साल की थी ओर उनके पति 21 साल के थे हमने उनसे पूछा के आपकी सादी इतनी जल्दी कैसे हो गई उसने बताया के मेरे मम्मी पापा ने मेरी सगाई में जब छोटी तब कर दी थी।
में इस सादी से राजी नहीं थी लेकिन मुझे मेरे मम्मी पापा की बात माननी पड़ी ओर मैने ये सादी करली आज मेरी सादी को 5 साल हो गई है ओर मेरे 4 बच्चे 
ओर मेरे पति मजदूरी करते है।
हरेश ने बताया के हम उनसे जायदा बात नहीं कर पाए लेकिन में उनके बारे में काफी कुछ जानता था वो बहुत जायदा दुःखी हैं उनके पति मजदूरी करके अपना गुज़ारा जलाते हैं ओर अपने ससुराल से अलग रहेते हैं 
जायदा बच्चे होने होने के कारण उनके शरीर में आसक्ति, ओर कोपोशित बच्चे पैदा होते है।

अशिक्षा के कारण ओर समाज के रीति रिवाज के कारण लड़कियां और लड़कों पर काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है उनकी शिक्षा उनका भविष्य खतरे में डाल दिया जाता है सबसे ज्यादा हमे अपने अधिकार के बारे जान ना चाइए ओर हमारे कानून की मुताबिक़ सादी करनी चाहिए जब लड़का लडकी दोनों राजी हो तब हमे उनकी सादी करनी चाहिए ओर वो दोनो सादी के लायक बन तब हमे उनकी सादी करनी चाए।
हरेश ने बताया के में अपने पड़ोस ओर अपने समाज को इस बारे जानकारी दुगा ओर छोटी उम्र में सादी करने से दोनो पर केया असर पड़ता है ओर उनकी आने वाली पीढ़ियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
ज़्यादा तर स्त्रियों की मौत डिलेवरी के वक्त हो जाती है यही एक कारण है के उनकी सादी नाबालिक होते है तब हो जाती है ओर उनकी शरीर में कमजोरी मेसुश होने लगती है उसे वो काफी बीमार होती।