Kuran priemery School

 

 

 परिवर्तन सार्वजनिक 

*कुरन प्राथमिक विद्यालय की छात्र के टास्क के बारे में

*नाम : सोढा वर्षाबा गजेंद्रसिंह
*कक्षा : 8
स्कूल : कुरन प्राथमिक विद्यालय
*टास्क नंबर : 5
मूलभूत कर्तव्य
जीवन जागरिक गोल्ड टास्क

उनका अनुभव में यह शेर करहा हूं ।

उनको टास्क ये दिया गया था के जो किशोरियां अपनी पढ़ाई बीच में छोड़ दिये  है इसी 2 किशोरियों के माता पिता से  बात करनी है के उनके पिता माता उनकी कन्या की पढ़ाई जारी रखे।
 उनहोंने कहा के मैने एक किशोरी से बात की आप स्कूल क्यू नही आती है तो उसने बताया के में अब 8 कक्षा पास कर चुकी हूं और मेरे माता पिता अब मुझे स्कूल में जाने नहीं देते क्यू के में अब बड़ी हो चुकी हूं मेरे माता पिता मुझे केते है के तुम स्कूल जाओगी तो घरका काम कोन करेगा ओर तुमारी सादी के लिए सादी का जोड़ा बनाना सीखना है और घर काम भी शिखना हैं तुम अब स्कूल नहीं जा सकती स्कूल तो अना चाती हूं लेकिन मुझे मेरे माता पिता नहीं जाने देते है  फिर मैने उनसे बात की के में आप के माता पिता से बात करूगी आपको स्कूल भेजे तो उसने मुझे मना किया बात करना उनसे कहा के तुम मेरे पिताजी से बात मत करना मुझे मेरे पिताजी स्कूल कभी नहीं जाने देगे तुम मेरी मां से बात करना के मुझे स्कूल भेजे।
दलती समाज में एक परंपरा (रिवाज) है के लड़कियों को उनका सादीका जोड़ा खुदको बनाना होता है।
 : तो मैने उनकी माता से बात की के आप आपकी बड़ी कन्या को स्कूल कियू नहीं भेजती वो पढ़ाई में बहोत होशियार है ओर वो आगे पढ़ना चाति है तो अनेक माताजी ने कहा बेटी आप नहीं जानती हो लड़कियों को पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है पढ लिख कर क्या करो गी तुम लड़कियां उनको जाना ससुराल है वह तुमको घर काम करना है वह पढ़ाई की क्या जरूरत है। वैसे मेरी बेटी की शादी करनी है अब वो घर काम करेगी और वो अपने लिए सादी का जोड़ा बनाना शीखना है।
ये बात मुझे बाहोंत बुरी लगी के वाकई कन्याओ को पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है क्या मेरे माता पिता भी मुझे 8वी के बाद स्कूल नहीं जाने देगे सबसे पेले मैने अपने माता पिता से बात की के क्या आप मुझे 8वी के बाद स्कूल नहीं जाने देगे तो मेरे माता ने कहा के अगर तू आगे पढ़ना चाहती है तो हम  तुम्हें नहीं रोकेगे
फिर मैने मेरी माता से कहा के मेरी शहली के माता पिता 8 वी बाद स्कूल क्यू नही जाने देते है उन्हें केरे है के अब तुम बड़ी हो गई हो तुम को अपने लिए सादी का जोड़ा बनाना है 
क्या मुझे भी ऐसा करना होगा तो मेरे मां ने कहा के वो हमपसे अलग है वो दलित समाज के है हम उनके वह ऐसा रिवाज है ऐसा नहीं उनकी भी लड़कियां बाहर पढ़ाई करने जाती है सोचने का नजरिया अलग अलग होता उनके माता पिता नहीं जाने देते उनकी सादी करना चाते है।
ये बात सुनकर मुझे अच्छा भी लगा और बुरा भी क्यू के हम एकी गाव के है ओर रीति रिवाज कितने अलग है हमारे
 अच्छा इसलिए लगा मेरे माता पिता मुझे पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन देते है।

ओर में मेरे लिए बोहत ही अच्छा अनुभव रहा इसमें मुझे बोहोत कुछ सीखने को मिला इस टास्क में।

मेरे लिए ये काम बोहत ज़ादा मुश्किल लगता था के में लोगो के घर जाके केसे बात करू सकु गई।
जब मैने बात की तो मुझे बहुत अच्छा लगा।

ओर अब जहादा से जहदा मुझे हमारे कर्तव्य और अधिकार के बारे में जान ना है ओर हमारे संविधान की बारे मुझ समझ बनाई नी है अब में रोज संविधान की बुक पढू गि।

ओर दूसरे जगरिको ने भी इसे के बारे में समझ बनाई के वो भी अपने कर्ततव्यों ओर अधिकार की बारे में जाहदा से ज़हदा जानना चाते है।
अपने आसपास कितने ऐसे किशोर किशोरी है जो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाती है या पाते है तो वो भी इस टास्क
माध्यम से हम उने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए कहे गए।
ओर हम भी अपनी पढ़ाई अच्छे से करे गए ।

उनकी जोड़ीदार भी थी इस टास्क में लेकिन उनको इस टास्क में कम समझ रही थी उनकी जोड़ीदार की।

Samvidhan live be a jagrik