APOLOGIES LETTERS BY KIRAN (AAWAJ)

पहले जमघट में किरण द्वारा उन्हें प्राप्त मूल कर्तव्य एक का स्वयं का टास्क था जिसमें उन्हें संविधान के अधिकारों का अध्ययन कर किन्ही भी तीन घटनाओं को याद करके जहां पर उन्होंने किसी अन्य के अधिकार को छीना हो या कर्तव्य निभाने से चूक हुई हो के लिए पत्र लिखना था। किरण द्वारा इस टास्क को काफी बेहतरी से पूरा किया गया।

इस टास्क में जागरिक साथी ने अपने कर्तव्यों का पालन ना करने के लिए तथा किसी के अधिकारों को ठेस पहुंचाने के लिए, क्षमा पत्रक लिखा गया।

किरण में तीन घटनाओं का जिक्र करते हुए पहली घटना को साझा किया, जिसमें उन्होंने अपनी सहेली अनीता को पत्र लिखा उन्होंने अनीता से क्षमा मांगते हुए लिखा कि जब उनकी सहेली अनीता के पिछले वर्ष दसवीं बोर्ड की परीक्षा दी थी, उसी समय किरण द्वारा अनीता को जानबूझकर पढ़ाई से इधर उधर गतिविधियों में व्यस्त रखा गया| जिससे अनीता के बोर्ड के परिणाम मैं इसका असर देखने को मिला| किरण को महसूस हुआ कि कहीं ना कहीं उन्होंने अनीता के अधिकारों का हनन किया है| अनीता अपने पढ़ने की जिज्ञासा को किरण से साझा नहीं कर पाई और किरण के साथ अन्य गतिविधियों में रही किरण ने महसूस किया कि उन्होंने अनीता के अभिव्यक्ति की तथा शिक्षा की अधिकार का हनन किया है जिसका उन्हें अफसोस है।

 

अगली घटना के लिए माफी मांगने के लिए किरण ने अपने भाई करण को पत्र लिखते हुए उसमें लिखा है कि पिछले वर्ष उनका भाई जो कि अपने साथियों के साथ नव वर्ष की पार्टी में जाने वाला था। किरण ने अपनी मां से कह कर अनुमति नहीं देने की बात की और मां ने भाई को नहीं जाने दिया जबकि यह पार्टी पास ही एक पार्क में हो रही थी किरण को एहसास हुआ कि उन्होंने अपने भाई की स्वतंत्रता जीने का कार्य किया और इस हेतु उन्होंने राजगढ़ में रह रहे अपने भाई को क्षमा पत्र लिखा।

 

तीसरे पत्र में किरण ने अपने मित्र मुस्कान को पत्र लिखते हुए उसमें जिक्र किया की शायद मुस्कान को याद नहीं होगा पर कक्षा 9वी में एक प्रतियोगिता के लिए किसी एक का चयन होना था । दावेदारों में किरण व उसकी दोस्त मुस्कान थी। तब किरण ने अपनी अध्यापिका से कह कर स्वयं का नाम देने को बोला। और हुआ यही की उस प्रतियोगिता में किरण का  नाम गया। जिसका अफसोस उन्हें अभी तक है।

 

जागरिक के अनुभव " यह केवल तीन घटना है जिनका मैंने जिक्र किया है परंतु इस टास्क के माध्यम से मैंने जाना की किसी के अधिकारों का हनन करना अपने आप में खुद के कर्तव्यों का पालन न करना है क्योंकि संविधान का पहला कर्तव्य हमें यही बताता है की हमें संविधान का पालन करना चाहिए।

 

फैसिलिटेटर के अनुभव "बचपन से मोटिवेशनल किताबों में स्पीकर के माध्यम से हमेशा यह सुनता आया हूं कि हमें शुक्रिया व क्षमा इन दो शब्दों का उपयोग करने के लिए कभी कंजूसी बरतनी नहीं चाहिए क्योंकि हमें यह शब्द एक सकारात्मक ऊर्जा देते हैं तथा हमेशा हमारे होने का एहसास कराते हैं और जब इन जागरिक साथियों की यह कहानी मैंने सुनी तुम मुझे वह किताब है सीधा संविधान के पहले कर्तव्य से जुड़ती हुई महसूस हुई"