समझदारी की कोई उम्र नहीं

ग्राम गुलरढाना शासकीय उचत्तर माध्यमिक विध्यालय के एक जागरीक गेमराज आजन्दे को यह टास्क मिला था की उसे अपने समुदाय मे प्रचलित पाँच रीति रिवाजो की सूची तैयार करनी है और उसने पाँच रीति रिवाजो की सूची तैयार की उसमे से दहेज प्रथा पर हमने बात की तो उसने बताया की हमारे समुदाय मे शादी होती है तो दहेज लड़के वालों को देना होता है इस पर विस्तृत रूप से चर्चा होने के पश्चात जागरीक व अन्य साथियों को दहेज प्रथा को लेकर कुछ बातें बताई गयी उसमे बताया गया की दहेज किस प्रकार समाज के लिए एक अभिशाप है दहेज प्रथा समाज के लिए एक दीमक की तरह अंदर ही अंदर समाज को खोखला कर कर रहा है | इस बात का प्रभाव हमारे जागरीक पर पड़ा उन्होने स्थानीय एक शादी मे जाकर दहेज प्रथा का विरोध किया उनकी बातों को किसी ने सहजता से नहीं लिया परंतु हमारे जागरिकों के प्रयास ने हमे अनुभव करा दिया की समझदारी की कोई उम्र नहीं होती| उसे यह तो ज्ञात हो गया है की कुछ रीति रिवाज संविधान के विपरीत है और वो अपने प्रयास से समाज मे व्याप्त कुरीतियो को खत्म करना चाहता है|