भेदभाव व बाल विवाह पर परिचर्चा व कार्य

 

  1. पहल इनीशिएटिव फॉर सोशल चेंज संस्था द्वारा माध्यमिक विद्यालय दशहरा मैदान बडवानी में जाग्रीक यात्राा  का समापन किया गया जिसमें बालको द्वारा डेढ़ महीने की इस यात्राा मे सीखे गए अनुभव को साझा किया गया । वही पर बालिका राधिका पिता नंदराम कुशवाह उम् 13 वर्स्श जो कि कक्षा  8वी ,  शासकीय माध्यमिक विद्यालय दशहरा मैदान की छात्र है तथा बडवानी के चान्दशाह मोह्ल्ले में निवास करती है बालिका ने  एक टास्क में हुए अनुभव को साझा करते हुए बताया कि मुझे एक जमघट 2 मे मुझे मुलभुत अधिकार का कार्ड न. 1 का ब्रांच टास्क मिला था टास्क  के दौरान  अपने आसपास के क्षेत्र में  लिंग के आधार पर भेदभाव  को  चिन्हित करके  उसे दूर करने के उपाय  बताने थे  साथ ही साथ बालिकाओं की शिक्षा को किस तरीके से  क्रियान्ववित किया जाए व  ऐसे इलाकों में जहां पर माता-पिता शिक्षित नहीं है तथा  शिक्षा के प्रति जागरूकता नहीं है  वहां पर पालकों को जागृत कर  उन्हे बालक और बालिका में समानता रखने को समझाना था  शुुुुरु  मुझे यह कार्य बेहद कठिन लगा परंतु  मैंने जैसे ही अपने आसपास के क्षेत्र में यह टास्क करना प्रारंभ किया मुझे पता चला कि काफी क्षेत्रों में  लडका और लडकी में काफी भेदभाव किया जाता है वह लडकियों की शिक्षा को अधिक महत्व नहीं दिया जाता साथ ही साथ लडकियों की कम आयु में ही विवाह कर उनसे छुटकारा पाने की मानसिकता भी मैंने कहीं जगह पर देखी  मैंने  ऐसे सभी माता-पिता को चिन्हित कर अपने सहयोगी  जाग्रिक के साथ उनके घर जाकर उन्हे बालिका शिक्षा​ का महत्व समझाते हुए बेटी पढओ बेटी बचाओ का संदेश दिया साथ ही साथ  पेंपलेट और वीडियोस के माध्यम से उन्हे बताया कि बालिकाएं  भी अपने माता-पिता का सहारा बन सकती हैं । इस कार्य को करते हुए काफी घरों में व काफी लोगों ने मुझसे पूछा कि आप इतनी कम आयु में इस तरीके का कार्य किस प्रकार से और क्यों कर रही हैं तब मैंने उन्हे बताया कि हमारे विद्यालय में संविधान जाग्रीक का खेल चल रहा है उसमें मुझे यह टास्क मिला है साथ ही साथ लोगों से बात करने पर लोगों ने इस बात को समझा कि बालिका शिक्षा​ भी आवश्यक है । मेने अपने इस अनुभव को अपने घर में माता पिता व स्कुल में अपने सहपाठीयो के साथ भी साझा किया जिसमें मुझे काफी प्रसंशा मिली व मुझमे भी काफी फरक आया है और में इस यात्रासे बोहोत खुश हूं।