बुरी आदत

 जागरिक रामवती काजले को यह टास्क मिला था कि अपनी 5 ऐसी आदते जो पर्यावरण के लिये नुकसानदेही है अपनी तीन आदतो को बदलकर पर्यावरण के प्रति अधिक सजग रहने का वचन लेना था जाग्रिक ने अपनी पांच बुरी आदत जैसे कचरा यहा वहा फेंकना, पौधो को बेवजह तोड्ना जैसी आदतो को लिखा उसके पश्चात उन्होने बहुत ध्यान देकर इन सारी बातो को अपने निजी उन्हे यह अनुभव हो गया था कि अगर हम ही पर्यावरण के प्रति जागरुकता नही दिखायेंगे तो हमारा पर्यावरण कैसे स्वच्छ रहेगा।

 इस कार्यक्रम से उनकी सीख यह रही कि अनावश्यक किसी भी पौधे को नही तोडना चाहिये व्यर्थ कचरा इधर उधर नही फेंकना चाहिये जिससे पर्यावरण को किसी भी प्रकार की कोई हानि नही पहुंचे और ना ही पर्यावरण प्रदुषण हो।

 इस सीख ने उनके स्वभाव मे परिवर्तन किया है वे पह्ले ऐसे ही फूल और पत्तियो को तोड लेती थी किंतु अब वह ऐसा नही करती है ऐसा करना अब उन्हे गलत लगने लगा और अब वे नियमित पौधो मे पानी डालती है और उनकी देखभाल करती है ।