नज़रिया बदलाव का

शासकीय माध्यमिक स्कूल करवानी की  एक जोड़ी की एक साथी को शारदा निगवाल को यह टास्क मिला था की वो बाल अधिकार मे काम करने वाले एनजीओ मे अपना पूरा दिन बिताए पर शारदा निगवाल का किसी भी संस्था के प्रति यह नजरिया था की संस्थाए केवल बड़े लोगो की ही बात सुनती है उसने अपने नजरिए को बदलने के लिए बाल अधिकार मे कार्य करने वाले स्थानीय संस्था मे अपना पूरा दिन व्यतित किया और उस दिन से उसकी सोच मे परिवर्तन आया की संस्थाओ का मकसद केवल बाते करना ही नही होता किन्तु उन सभी कार्यो को करना होता है जो बाल अधिकार से संबन्धित है| इस टास्क से उसके मन मे बनी संस्थाओ के प्रति गलत छवि को उसने अपने जहन से हटा दिया और एक सकारात्मक सोच के साथ अब वह संस्थाओ का सम्मान कर रही है| उस साथी का मानना था की वो दिन मेरे लिए बहुत खास था वह पूरा दिन उनके साथ घूमती रही और उनके कार्यो के लिए उनका समर्थन भी करती रही उसने कहा की मैं गाँव से होने वजह से मेरा किसी भी सामाजिक क्षेत्र मे कोई भी समर्थन नही था किन्तु इस टास्क की वजह से मैंने यह जाना की एक एनजीओ क्या होता है और वो किस प्रकार से कार्यरत है|