छूआछूत की जंजीरों में लिपटी मित्रता

ग्राम विलोकला के शा. हाई स्कूल में अध्यनरत बालिका कु. पूनम रावत की कहानी छुआछूत के दर्द को बयां करती |

       ग्राम विलोकला  में सभी जाति वर्ग के लोग निवास करते है यह गाँव पिछड़ा वर्ग (रावत ) बाहुल्य है इस गाँव में छुआ छूत व भेद भाव देखने को मिलता है इसी गाँव में संस्था द्वारा शासकीय स्कूल बिलोकला में जागरिक कार्यक्रम यात्रा के अन्तरगत 30 बच्चों को समूह में जोड़ा और इसी कार्यक्रम के अंतर्गत सभी बच्चों ने अपनी अपनी जोड़ी के साथ टास्क चुने इन्ही जोड़ियों में से एक जोड़ी पूनम रावत की है जिसने टास्क लिया – अलग अलग धर्म जाती के दोस्त बनाना है | वह उन्हें अपने घर पर लेकर जाती है तब उसकी दादी ने पूनम के साथ आयी उसकी दोस्तों के नाम व जाती पूछी तो पूनम ने बताया कि ये जाटव और यह आदिवासी है यह सुनकर दादी पूनम से बहुत नाराज हुई और डांटते हुए कहा कि इसे दोस्त नही बनाना और न ही उन्हें घर लेकर आना तुझे अपने समाज के दोस्त नही मिले जो तू इन्हें ले आई” दादी का इस तरह व्यवहार देखकर पूनम रावत को बहुत दुःख हुआ और उसने अपनी दादी को समझाते हुए संविधान की धारा 15 व 17 के बारे में भी बताया लेकिन दादी नही मानी तभी पूनम रावत ने अपने मन में विचार किया कि जो दुःख मुझे हुआ है इससे भी ज्यादा  दुःख मेरे दोस्तों को भी हुआ होगा  आज से मै यह प्रयास करुँगी की मै स्वयं किसी से छुआ छूत नही करुँगी व अगर कोई मेरे सामने छुआ छूत करेगा तो उसे समझाने का प्रयास करुँगी |