उजाले की ओर बढ़ते मजबूती कदम

रोहित देखने में शांत चिन्तनशील दिखता है जागरिक फैसिलिटेटर जब बच्चों से मिले उन्हें अपने आने के बारे में बताया – संविधान लाइव यात्रा में जुड़ने के लिये आग्रह किया – उन बच्चों में रोहित ने भी इस यात्रा में जुड़ने की इच्छा व्यक्त की दो दिन के प्रशिक्षण उपरांत टास्क चयन की प्रक्रिया हुई | जिसमें रोहित ने मूल कर्तव्य के कार्ड नंबर 3 में गोल्ड टास्क –सीमओं की सीमा से परे (किसी भी वर्ग जाति,लिंग,धर्म से) एक-एक दोस्त बनाइये, इसमें कितने प्रकार की बाधाएं आती हैं | यह टास्क को अच्छे से समझने के लिये फैसिलिटेटर से रोहित ने बात की उसके  बात करने व इस विषय पर रूचि देखते हुए –उसे और प्रोत्साहित किया | रोहित ने बताया कि वह बचपन से ही अपने घर व गाँव में जातिवाद व छुआछूत देखता आया है  मई समझना चाहता था  कि वैसे तो गाँव के लोग एक जैसे हैं लेकिन आपस में भेदभाव क्यों करते हैं मुझे प्रशिक्षण के दौरान यह भी ज्ञात हुआ कि अनुच्छेद-15 में यह सब करना गलत माना गया है | अब मैने इसे समझने के लिये जाटव,मुसलमान,खंगार,रावत समाज के दोस्त बनाये सबसे पहले दोस्तों ने उपहास किया-जब मै  इन्हें अपने घर ले गया व  परिवार वालों से परिचय कराया तो  उन्होंने मुझे समझाया कि अपने ही समाज के बच्चों से दोस्ती करो इन्हें क्यों लिये घूम रहा है | मैने भी उन्हें बताया कि जब सब इंसान बरावर हैं तो भेदभाव क्यों भारत का संविधान भी हमें ऐसा व्यवहार करने की अनुमति नहीं देता है | माता-पिता व परिवार के अन्य लोगों को समझाने में बहुत परेशानी हुई उन्होंने समाज का डर दिखाया लेकिन मेने उन्हें समझाना जारी रखा- अंत में माता-पिता मेरी बात पर सहमत हुए | माँ के द्वारा बच्चों को स्वल्पाहार खिलाया गया | हम बहुत खुश हुये अब हम सही में दोस्त बन गये हैं साथ में स्कूल जाते हैं खेलते हैं हम बच्चों ने माना की हमें किसी के साथ भेदभाव नहीं करना है समाज में भाईचारे की मिशाल कायम करना है | जिससे हमारे गाँव का विकास तेजी से हो सकेगा |

                          रोहित व उनके साथियों ने निश्चय किया है कि वे अपने जीवन पर्यन्त भेदभाव,छुआछूत जैसी कुरीतिओं को समाप्त करने में और  लोगों को जोड़ने का कार्य करेंगे |