अंकित: जाने अधिकार एवं अपनी गलतियों के लिए मांगी माफी

Ankit

संविधान लाइव आओ बने जाग्रिक बालक अंकित सोलंकी उम्र 13 वर्ष कक्षा आठवीं माध्यमिक शाला ग्राम सडीयाकुआँ का छात्र है। अंकित ग्राम सड़ियाकुआं में रहता है। इस शनिवार जमघट में अंकित ने रिफ्लेक्शन सेशन में अपने अनुभव साझा करते हुवे बताया की उसके और उसके साथी द्वारा पिछले जमघट में  खेलते हुवे मूलभूत कर्तव्य के कार्ड 1 से गोल्ड टास्क चुना। जो कहता है संविधान में दिए गए अधिकारों का अध्ययन कीजिए और ऐसे तीन घटनाओं को याद कीजिए जब आपने किसी अन्य के अधिकार को छीना हो या अपना कर्तव्य निभाने में चुक की हो साथ ही उनसे माफी के लिए पत्र लिखिए और तीन ऐसे अधिकारों के बारे में बताइए जिनसे आपको वंचित रखा गया हो और एक पत्र में संबंधित व्यक्ति से इसकी मांग कीजिए

जाग्रिक सहजकर्ता द्वारा अंकित को 1 सप्ताह के लिए टास्क पर काम करने के लिए कहा गया। अंकित ने बताया की मेरे द्वारा तीन साथिया का अधिकार छीना गया है जबकि में उनको उनका अधिकार दिलवा सकता था।यह मेरा भी कर्तव्य था कि उनको अधिकार मिले

पहला मामला-& गांव के एक साथी रोहित को उसके पिताजी खिलचीपुर पढ़ने के लिए भेजना चाहते थे उस समय रोहित को मेने गाँव के स्कूल मे ही पढ़ने के लिए रोक लिया। अगर में उस समय रोहित को न रोकता और उसके पिताजी जहां पढ़ाई करने के लिए भेज रहे थे वहाँ जाने देता तो रोहित अच्छे से पढ़ाई करता लेकिन मेरी गलती के कारण आज कहीं न कहीं रोहित पढ़ाई में पिछड़ा है।

दूसरा मामला-& मेरे गाँव के पास ही मेरे मामा जी का गांव में राजेश नाम का लड़का था जिसका बाल विवाह हो रहा था और उस समय मैं भी विवाह के कार्यक्रम में था मुझे पता था कि बाल विवाह करना अपराध है लेकिन फिर भी मैंने या जानकारी किसी को नहीं दी और विवाह हो गया। अगर राजेश का बाल विवाह नही होता और वो पढ़ाई करता तो आज अच्छी जगह होता लेकिन विवाह होने के बाद राजेश की पढ़ाई छूट गई। कही न कही मेरे द्वारा राजेश का अधिकार छीना जबकि मेरा कर्तव्य था कि में बाल विवाह की शिकायत करु जिससे कि विवाह पर रोक लग सके। लेकिन मेने सोचा था कि कुछ नही होता है।

तीसरा मामला& अंकित ने बताया कि मेरा एक साथी था अजयराज दोनो हम घनिष्ठ मित्र थे दिनभर साथ मे रहते थे। अजयराज को उसके घर वाले घर का छोटा मोटा काम करने को कहते तो में उसको खेलने ले जाता था। आज भी अजयराज घर वालो की नही सुनता। इससे मुझे बाद में पता चला कि इसमे भी मेरी गलती थी कि अगर में अजय को उस समय काम करने से न रोकता तो आज वो घर का छोटा मोटा काम करता।

इन तीनो मामलों को लेकर मेने सोचा कि अगर मुझे पहले ही अपने कर्तव्यों की जानकारी होती तो में तीनों साथियों की कुछ न कुछ मदद करता जिसके की उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके। लेकिन मुझे यह सब कुछ पता नही था। अब मुझे पता चला कि मेरा क्या अधिकार है और क्या कर्तव्य है। पहले अगर मुझे पता होता तो में पक्का मेरे दोस्त का बाल विवाह नही होने देता।

इनमें से मेरे द्वारा दो साथी राजेश और रोहित हो पत्र लिख कर माफी मांगी। पत्र में लिखा कि, "दोस्तो अगर मुझे पहले सबकुछ पता होता कि बाल विवाह होने से नुकसान क्या है तो में बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाता लेकिन मुझे जानकारी नही थी। अब मुझे जाग्रिक के माध्यम से मेरे और लोगों के अधिकार एवं कर्तव्य की जानकारी हो रही है। आगे से ऐसे कोई मामले मिलेंगे तो में पक्का लोगो के अधिकार के लिए आवाज उठाउंगा।